रविवार, 1 मई 2011

सचिन तेन्दुलकर भी शून्य पर आउट हो जाता

बात उस समय की है जब हमारी यूनिट में श्रीमान श्री योगेश चौधरी आईपीएस पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थ थे । हमारे कार्यालय में शासकीय कार्य टाईप मशीनों के माध्यम से होता था । कम्प्यूटर का जमाना आया, कम्प्यूटर आये परन्तु कोई भी अधिकारी/कर्मचारी कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं रखते थे । आईजी स्तर पर कम्प्यूटर के संबंध में प्रतियोगिता आयोजित की गई तथा प्रत्येक यूनिट से कम्प्यूटर में दक्ष अधिकारी/कर्मचारियों को आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु नाम चाहे गये । ऐसी स्थिति में साहब ने मुझे प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु जाने के लिए कहा । तो मैनें श्रीमान्‌ जी से निवेदन किया कि श्रीमान जी मुझे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है । चूकि प्रतियोगिता कम्प्यूटर से संबंधित है और मेरे द्वारा कम्प्यूटर का कोई प्रशिक्षण भी नहीं लिया गया है ऐसी स्थिति में मैं कम्प्यूटर प्रतियोगिता में जाकर क्या करूॅंगा । तब श्रीमान्‌ चौधरी साहब ने मुझ से कहा '' तू ही जायेगा कम्प्यूटर प्रतियोगता में चाहे शून्य पर क्यों न आउट होकर आये । उन्होनें मुझे साहस बधाते हुये कहा कि ''सचिन तेन्दुलकर भी शून्य पर आउट हो जाता है ।'' तुम्हारा नाम मैंने कम्प्यूटर प्रतियोगिता के लिए चयनित कर भेज दिया है । साहब द्वारा बंधाये साहस से गदगद होकर कम्प्यूटर प्रतियोगिता देने गया और जो बाते श्रीमान्‌ जी द्वारा मुझे बताई गई थीं वही कम्प्यूटर प्रतियोगिता में पूछी गयीं । लौटकर वापस आने पर उन्होनें मुझे बुलवाया और बोले कैसी रही प्रतियोगिता तो मैनें कहा सर में तो बहुत डर रहा था लेकिन आपने साहस बंधाकर मुझे कुछ करने की प्रेरणा दी । तो उन्होनें कहा कि इसी प्रकार से नये-नये आयामों में भाग लेते रहा करों । मैं धन्य हो गया ऐसी अधिकारियों के सानिग्ध में कार्य कर के । जीवन में कभी भी ऐसे लम्हों को नहीं भूल पाऊगा ।