शुक्रवार, 7 जून 2013

चोरों से सावधान

अक्सर क्या होता है कि हम जब भी किसी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए जाते हैं तो हमारा रूकना भी सुभाविक है ऐसी स्थिति में रूकने के लिए भी उस समय बड़ी परेशानियां उठानी पड़तीं हैं । लॉज धर्मशाला वगैरह सभी भरे हुये होते हैं । ऐसे में हमें अपनी एवं अपने माल की पूर्ण रूप से सुरक्षा करनी चाहिये । अन्यथा कुछ इस तरह का परिणाम होता है । मैं  जो  बात बताने जा रहा वह पूर्ण रूप से सत्य पर आधारित है । कुछ वर्ष पहिले की बात है पुलिस की भर्ती में शारीरिक माप दण्ड के बाद दौड़ हेतु सागर जाना पड़ता था जो लोग शारीरिक माप दण्ड पूर्ण कर लेते हैं उन्हें एक सीट प्रदाय की जाती थी उसे लेकर सागर में जमा करने के बाद दौड़ हुआ करती थी । इसी क्रम में रवि संतोष दोनों सागर जाते हैं और बस स्टेण्ड पर बनी धर्मशाला में रूकते हैं अपना सामान पलंग की नीचे रख लेते हैं और सफर में थकान की बजह से सो जाते हैं । सुबह उठते हैं क्या देखते हैं कि उनका बैग वहॉं पर मौजूद नहीं है कोई चोर उठा कर उसे सुबह-सुबह ही ले गया है जिसमें इन दोनों के कपड़े एवं दौड़ हेतु प्राप्त सीट रखे हुये थे । ठंडी का समय था वेचारे अन्डर बनियान में ही रह गये और भर्ती प्रक्रिया में सीट न होने के कारण दौड़ भी नहीं पाये । जो पैसे रखे थे वह भी चले गये । इसके बाद जब इनका फोन मेरे पास आया तो मैं यहॉं से उनके कपड़े इत्यादी लेकर सागर पहुचा तब कहीं यह लोग वापस आ सके । इस तरह से थोड़ी सी असावधानी के कारण भर्ती प्रक्रिया से बंचित हो गये । इसलिए मेरा अनुरोध है कि जब भी आप कहीं जाते हैं तो अपने माल को सुरक्षित रखें । अन्यथा वहॉं पर मौजूद आदतन चोर आपके माल को उड़ा सकते हैं

गुरुवार, 6 जून 2013

शह

यह घटना पूर्णतः सत्य है । यह बात नव रात्रि पर्व के समय की है । चार दोस्त सुबह के समय घर से दर्शन के लिए निकलते हैं और एक दर्शनीय स्थल पर जहॉं तालाब था जिसमें कमल के फूल खिले हुये थे को देखकर आनंदित हो उठते हैं  दर्शनीय स्थल होने के कारण और भी कई लोग सपरिवार वहॉं आ रहे थे और मोहिक बातावरण का आनंद उठा रहे थे । कमल के फूलों को देखकर सभी के मन में भाव आ जा रहे थे कि यह कैसे तोड़े जायें । चूकि चारों दास्तों में से एक दोस्त ही तैरना जानता था इसलिए तीनों दोस्त उस को शह देने लगे कि तुम्हारे तो बांये हाथ का काम है इस फूल को तोड़ने का वहॉं पर मौजूद लोगों को देखकर उस दोस्त को रहा नही गया और अपने तीन साथियों की शह में आकर उसने आव देखा न ताव और तालाब में पेन्ट सर्ट पहने ही कमल के फूल की ओर जाकर उसे तोड़ लिया । तभी क्या होता है कि वहीं पर एक बच्चा बताता है कि इसी फूल को तोड़ने के लिए पहले भी किसी ने कोशिश की थी जिसके पॉव कमल की जड़ों में फंस गये थे और वह मुश्किल से बाहर आ पाया था वश उसका कहना था कि वहीं घटना इसके साथ भी घटी । फूल तोड़कर जैसे ही वह वापस आने को हुआ कि उसके पैर में जड़े लिपट गयीं वह बहुत हाथ पैर मारता किन्तु आगे नहीं बढता चिल्लाता । यह देखकर वहॉं मौजूद अन्य लोग वहॉं से धीरे से खिसक लिये । मात्र उसके 3 दोस्त ही वहॉं मौजूद थे । वह 10 मिनिट  तक जद्दोजिहद करता रहा थक जाने से वह डूबता निकलता रोता चिल्लाता बचाओ बचाओ कर रहा था । अब तीनों दोस्तों के मन में तरह तरह के भाव आने लगे कि क्यों हम लोगों ने उसे शह दी  ऐसा न करते तो ऐसा न होता  घर जाकर उसके परिजनों को क्या बतायेंगे] किससे क्या कहेंगे  तरह तरह के विचार मन में उठ रहे थे आखिर में उन्होनें निर्णय लिया कि हम लोगों ने ही शह दी है इसलिए हम ही कुछ कुछ उपाय करें । तब तीनों भगवान के भरोसे तालाब में उतरने लगे लम्बा आगे दूसरा पीछे तीसरा और पीछे] जब वह आगे बढ़े तो क्या देखते हैं कि उनके गले तक पानी आ गया है और वह डमाडोल होने लगे उस समय वह भी जान गये कि अब चारों दोस्तों का बचना मुमकिन नहीं है फिर भी वह उसे ठाठस बधाकर उसके नजदीक तक पहॅंच गये और उससे बोले कि तुम हम लोगों को एक दम से खीच नहीं देना अन्यथा सभी के सभी मारे जायेंगे हम तीनों लोग तुम्हें खींचेंगे और उसका हाथ पकड़कर धीरे-धीरे मौत से लड़ते हुये तालाब के बाहर आये । क्या देखते हैं कि जो दोस्त कमल का फूल तोड़ने गया था वह लश्त हो कर जमीन में पड़ा है और उसके हाथ की मुट्ठी में वह कमल का फूल बंद हैं । चारों मौत के मुह से मातारानी की कृपा से बाहर आये और तभी से तीनों ने कसम खाई कि कभी  भी किसी को शह नहीं देंगे ।

सोमवार, 20 अगस्त 2012

मैं धन्य हो गया

ऐसा भी एक समय था, जब पुलिस अधीक्षक महोदय का आरक्षक भर्ती में पूर्ण अधिकार था । बात उन दिनों की है जब हमारे जिले में श्री योगेश चौधरी आईपीएस पुलिस अधीक्षक पद पर आशीन थे । भर्ती प्रक्रिया चालू हुई साहब ने मेरे से कहा तुम मेरे साथ कम्प्यूटर में फीडिग का कार्य करोगे । पूरे आफिस में उन्होनें मुझे ही चुना था । भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न होने को थी साहब द्वारा पूर्ण ईमानदारी से भर्ती प्रकिया सम्पादित की । इसके बाद लिस्ट बनवाई तभी एकाएक चुनाव होने से सूची जारी नहीं हो सकी और एक माह तक ऐपरूब होकर नहीं आई । एक माह पश्चात जब सूची जारी हुई तो जो नाम मेरे द्वारा टाईप किये गये थे वह ज्योंके त्यों थे । साहब ने मुझे बुलाया और बोले तूने एक माह तक गोपनीयता बनाये रखी जो सूची  तेरे द्वारा बनाई थी वो आ गई है । जा तू अभी रिवार्ड बना कर ला । साहब का इतना कहना मुझे अपने आप पर गर्भ महसूस हुआ कि इतने ईमानदार अधिकारी के साथ मुझे कार्य करने का अवसर मिला मैं धन्य हो गया । आज भी मेंश्री योगेश चौधरी साहब को एक ईमानदार अधिकारी की श्रेणी में अब्बल मानता हू ।

गीता का ज्ञान


लगता पास लक्ष है मेरे, पास मैं जैसे जाऊ ।


मृगमारीचिका वो बन जाये , मैं ठगा-ठगा रह जाऊ ॥

एक पल सोचू किस्मत मेरी ऐसा खेल खिलाये ।

समय नहीं है आया जब तक, वो कैसे मिल पाये ॥

हार न मानू, रार न ठानू, कर्म किये मैं जाऊ ।

धैर्य और साहस के बूते, आगे कदम बढा़ऊ ॥

आसानी से जो मिल जाये, मजा न उसमें आये ।

जाते-जाते जो मिल जाये, मन फूला नहीं समाये ॥  



आज के दिन क्वार्टर फाईनल मेंअन्डर १९ ने वर्डकप में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया है ।  इसी बात पर मैं इन पंक्तियों को लिख रहा हू ।

शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

1966










































































रविवार, 1 मई 2011



























































































सचिन तेन्दुलकर भी शून्य पर आउट हो जाता

बात उस समय की है जब हमारी यूनिट में श्रीमान श्री योगेश चौधरी आईपीएस पुलिस अधीक्षक पद पर पदस्थ थे । हमारे कार्यालय में शासकीय कार्य टाईप मशीनों के माध्यम से होता था । कम्प्यूटर का जमाना आया, कम्प्यूटर आये परन्तु कोई भी अधिकारी/कर्मचारी कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं रखते थे । आईजी स्तर पर कम्प्यूटर के संबंध में प्रतियोगिता आयोजित की गई तथा प्रत्येक यूनिट से कम्प्यूटर में दक्ष अधिकारी/कर्मचारियों को आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु नाम चाहे गये । ऐसी स्थिति में साहब ने मुझे प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु जाने के लिए कहा । तो मैनें श्रीमान्‌ जी से निवेदन किया कि श्रीमान जी मुझे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है । चूकि प्रतियोगिता कम्प्यूटर से संबंधित है और मेरे द्वारा कम्प्यूटर का कोई प्रशिक्षण भी नहीं लिया गया है ऐसी स्थिति में मैं कम्प्यूटर प्रतियोगिता में जाकर क्या करूॅंगा । तब श्रीमान्‌ चौधरी साहब ने मुझ से कहा '' तू ही जायेगा कम्प्यूटर प्रतियोगता में चाहे शून्य पर क्यों न आउट होकर आये । उन्होनें मुझे साहस बधाते हुये कहा कि ''सचिन तेन्दुलकर भी शून्य पर आउट हो जाता है ।'' तुम्हारा नाम मैंने कम्प्यूटर प्रतियोगिता के लिए चयनित कर भेज दिया है । साहब द्वारा बंधाये साहस से गदगद होकर कम्प्यूटर प्रतियोगिता देने गया और जो बाते श्रीमान्‌ जी द्वारा मुझे बताई गई थीं वही कम्प्यूटर प्रतियोगिता में पूछी गयीं । लौटकर वापस आने पर उन्होनें मुझे बुलवाया और बोले कैसी रही प्रतियोगिता तो मैनें कहा सर में तो बहुत डर रहा था लेकिन आपने साहस बंधाकर मुझे कुछ करने की प्रेरणा दी । तो उन्होनें कहा कि इसी प्रकार से नये-नये आयामों में भाग लेते रहा करों । मैं धन्य हो गया ऐसी अधिकारियों के सानिग्ध में कार्य कर के । जीवन में कभी भी ऐसे लम्हों को नहीं भूल पाऊगा ।