सोमवार, 20 अगस्त 2012

मैं धन्य हो गया

ऐसा भी एक समय था, जब पुलिस अधीक्षक महोदय का आरक्षक भर्ती में पूर्ण अधिकार था । बात उन दिनों की है जब हमारे जिले में श्री योगेश चौधरी आईपीएस पुलिस अधीक्षक पद पर आशीन थे । भर्ती प्रक्रिया चालू हुई साहब ने मेरे से कहा तुम मेरे साथ कम्प्यूटर में फीडिग का कार्य करोगे । पूरे आफिस में उन्होनें मुझे ही चुना था । भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न होने को थी साहब द्वारा पूर्ण ईमानदारी से भर्ती प्रकिया सम्पादित की । इसके बाद लिस्ट बनवाई तभी एकाएक चुनाव होने से सूची जारी नहीं हो सकी और एक माह तक ऐपरूब होकर नहीं आई । एक माह पश्चात जब सूची जारी हुई तो जो नाम मेरे द्वारा टाईप किये गये थे वह ज्योंके त्यों थे । साहब ने मुझे बुलाया और बोले तूने एक माह तक गोपनीयता बनाये रखी जो सूची  तेरे द्वारा बनाई थी वो आ गई है । जा तू अभी रिवार्ड बना कर ला । साहब का इतना कहना मुझे अपने आप पर गर्भ महसूस हुआ कि इतने ईमानदार अधिकारी के साथ मुझे कार्य करने का अवसर मिला मैं धन्य हो गया । आज भी मेंश्री योगेश चौधरी साहब को एक ईमानदार अधिकारी की श्रेणी में अब्बल मानता हू ।